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रिश्तों की यह दुनिया

रिश्तों की यह दुनिया है निराली,
सब रिश्तों से प्यारी है दोस्ती तुम्हारी,
मंज़ूर है आँसू भी आखो में हमारी,
अगर आजाये मुस्कान होंठ पे तुम्हारी।

जब खामोश आँखो से


जब खामोश आँखो से बात होती है
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है
तुम्हारे ही ख़यालो में खोए रहते हैं
पता नही कब दिन और कब रात होती है…

दुरियों से फर्क नहीं


दुरियों से फर्क नहीं पडता,
बात तो दिल की नज़दिकियों की होती है,
दिल के रिश्ते तो किसमत से बनते हैं,
वरना मुलाकात तो जाने कितनो से होती है।

लोग पुछते हैं क्यों


लोग पुछते हैं क्यों सुर्ख है तुम्हारी आँखे,
हँस के कह देता हुँ रात को सो ना सके,

लाख चाहुँ भी मगर ये कह ना सकुँ..

रात को राने की हसरत थी मगर रो ना सके..