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2016-09-13 16:11:36
मेरे जीने के लिये तेरा अरमान ही काफी है, दिल के क़लम से लिखी ये दास्तान ही काफी है, तीर-ए-तलवार की तुझे क्या ज़रूरते ए नज़नीन, क़त्ल करने के लिय तेरी मुस्कान है काफी है.